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Saturday 9 May 2020

तथास्तु : कल्पवृक्ष की ओर... (विषय, प्रयोजन और प्रसंग)



मित्रों, आपके जीवन को पूरी तरह बदलने के लिए मैं एक "यात्रा पैकेज" लेकर लाया हूँ। इस यात्रा का गंतव्य (destination) है एक देव-द्वीप, जिसके ठीक मध्य में एक कल्पवृक्ष है, जिसकी छाँव में स्थित होकर, और यह ध्यान में रखते हुए कि मैं कल्पवृक्ष के नीचे हूँ , आप जो मांगेंगे, वह प्राप्त होगा। 

यहाँ तीन अर्थ (प्रयोजन) समझने आवश्यक हैं :

देव : जो प्रकाशित करे। जो प्रकाश दे।
द्वीप : आठों दिशाओं से किसी जल से घिरा भूभाग (पृथ्वी-तत्व)
कल्पवृक्ष : ऐसा वृक्ष जो हर कल्पना को पूर्ण करे। ऐसा वृक्ष जो आपकी हर इच्छा को तथास्तु कहे, चाहे वह इच्छा कोई भी हो।  

आपको उस कल्पवृक्ष के नीचे होने का बोध करवाना, वहाँ आपकी चेतना को पहुंचाना, यही 'तथास्तु के रहस्य' का मुख्य प्रयोजन है। 

जैसा कि हम जानते हैं, आज अधिकतर लोगों का जीवन उनके 'भूतकाल' की बुरी यादों, संघर्षों से भरे 'वर्तमान' और 'भविष्य' की धुंधली छवियों के बीच उलझ-सा गया है और आगे नहीं बढ़ पा रहा। जीवन में असफलताएं, रुकावटें, बाधाएं, परेशानियां, रिश्तों में कड़वाहट, भ्रम, भय, ग्लानि, उद्विग्नता, क्लेश, तनाव, क्रोध, दुःख, रोग और दरिद्रता ने जीवन की गति अवरुद्ध कर दी है। हर व्यक्ति अक्सर अपनी चेतना के स्तर पर छह प्रकार के डर में जी रहा होता है. ये डर हैं: मृत्यु का डर, गरीबी का डर, बीमारी का डर, अपनों को खोने का डर, आलोचना का डर और बुढापे का डर. इसके साथ ही बहुत गहराई में उसका अवचेतन-मन तीन और विशेष प्रकार के डर अक्सर पाल के बैठा होता है. ये डर हैं : अँधेरे का डर, किसी भी प्रकार की ऊंचाई का डर और अनजाने का डर. ये डर हमारे दिमाग़ में अगर मजबूती के साथ बैठ जाते हैं, तो ये हमारी क्षमताओं को दबा देते हैं और हम उनका सही और समुचित उपयोग नहीं कर पाते। 

ऐसे में अक्सर यह प्रश्न उठता ही रहता है कि वह कौन सा ज्ञान, कौन सी विधि है, जिससे अभय प्राप्त हो सके?...जिससे आप इस सब पर विजय प्राप्त कर सकें और अपने जीवन के अनुभवों को अपने नियंत्रण में रख सकें? 

उत्तर के रूप में मैं गुरुजनों की दिव्य प्रेरणा से आपके लिए लेकर आया हूँ एक ऐसा रहस्य, जिसके अन्दर बहुत सारे छोटे-छोटे रहस्य हैं, और जिसके माध्यम से आप अपने Sub-Conscious Mind यानि अवचेतन-मन की छिपी हुई ताक़त को जागृत कर सकते हैं और जीवन को अपेक्षित गतिशीलता प्रदान कर सकते हैं। 

वास्तव में हमें जो कुछ अनुभव होता है, उस अनुभव का स्रोत हमारा चेतन-मन नहीं, बल्कि उसके आधार में स्थित अवचेतन-मन होता है। इस श्रृंखला में मैं यह भी आपको समझाऊंगा कि आपके सुख-दुःख और आपके जीवन की अच्छी-बुरी घटनायें और आपके सभी सांसारिक और मानसिक अनुभव केवल और केवल आपके अवचेतन-मन के द्वारा ही संचालित होते हैं। अतः, यदि अवचेतन-मन की ‘मानस-सिद्धि’ हो जाए, तो व्यक्ति कुछ भी पा सकता है। 

अनुसंधानों ने आज यह साबित कर दिया है कि जीवन की 10 में से 9 समस्याएं केवल अवचेतन-मन की बुरी अवस्था से ही उत्पन्न होती हैं और यदि अवचेतन-मन को संसाधनयुक्त-अवस्था के आयाम में स्थित कर दिया जाए, तो जीवन अपने स्वस्थ-स्वभाव में अनायास ही आ जाता है, और यह स्वस्थ-स्वभाव प्राकृतिक रूप से आनन्दयुक्त ही है, जहाँ वह सबकुछ है, जो आपके 'आनन्द' को दृश्य या अनुभव रूप से प्रगट करता है, चाहे वह धन-वैभव हो, या समृद्धि, या ऐश्वर्य, या रिश्तों का सुख, या आरोग्यता, या सामाजिक सम्मान या आपके मन की कोई और सकारात्मक-इच्छा। 

यह सिद्ध है कि मनुष्य द्वारा अनुभव की जाने वाली लगभग सभी समस्याओं, बीमारियों और असफलताओं का केंद्र-बिंदु हमारे अवचेतन-मन में ही विराजमान होता है। अतः पूर्ण सफलता और स्वास्थ्य की सिद्धि के लिए आवश्यक है कि आप अपने अवचेतन-मन की महाशक्ति, जिसको माया की मनोमयी-शक्ति कहते हैं, उसको जागृत करें। 

इस अनोखी श्रृंखला में यह सब आप न केवल सीखेंगे, बल्कि आपको अवसर मिलेगा कि आप विशेष और अत्यंत-सरल मानसिक-अभ्यासों यानि mind-exercises के द्वारा अपने अवचेतन-मन को नये तरीकों से निर्देशित कर सकें। 

यही मानस-सिद्धि है। इस मानस-सिद्धि के कुछ गूढ़-रहस्य भारतीय शास्त्र और विशेष तौर पर उपनिषदों का शोध करने पर मुझे ज्ञात हुए और जैसा मैंने पहले भी बताया, उस प्राचीन-ज्ञान और आधुनिक Neuro-Linguistic Programming का योग कर मैंने एक नवीन विधा Atharva NLP बनाई है, जिसका एक अत्यधिक महत्वपूर्ण भाग इस श्रृंखला में आपसे साझा कर रहा हूँ। 

इस श्रृंखला के माध्यम से आप अपने अवचेतन-मन की सीमाओं से बाहर आकर आपके भीतर छिपी एक विशेष शक्ति "धी-शक्ति" का प्रयोग करना सीखेंगे, और अपने अवचेतन-मन को सचेत होकर ‘सही प्रयोग’ कर सकेंगे। 

धी-शक्ति को सामान्य भाषा में समझें तो यह हमारी ‘अवचेतन-मन की encoding और decoding को आधार देने वाली धारणा-शक्ति’ है, जिसके माध्यम से हम ‘सजगता के साथ - सचेत रूप से - सूचित निर्णय’ ले सकते हैं, जिसको ‘informed conscious and mindful decisions’ कह सकते हैं, और इसके माध्यम से हम अपने अवचेतन-मन को पूरी तरह साध सकते हैं। कठोपनिषद्, अध्याय 1, वल्ली 3, मन्त्र 3 में स्वयं आप (जो आप वास्तव में हैं), आपका मन, आपके जीवन के सभी अनुभव कराने वाली आपकी इन्द्रियाँ, आपका शरीर और आपकी बुद्धि में पारस्परिक सम्बन्ध बताया गया है। उपनिषद् में श्री यमधर्मराज जी के द्वारा नचिकेता को समझाया जाता है: 

आत्मानं रथिनं विद्धि शरीरं रथमेव तु ।
बुद्धिं तु सारथिं विद्धि मनः प्रग्रहमेव च ।। 

अर्थात्, इस जीवात्मा को तुम रथी (रथ का स्वामी), शरीर को उसका रथ, बुद्धि (आपकी ‘धी-शक्ति’ का पहला स्तर) को सारथि (रथ हांकने वाला) और मन को लगाम समझो। आत्मा (स्वयं आप) रूपी यात्री को उसकी मंज़िल तक पहुंचाने के लिए उसके शरीर रुपी रथ से लगी इन्द्रियों रुपी घोड़ों को अनुशासित करने वाली मन रूपी लगाम को नियंत्रित करने वाला सारथि आपकी ‘धी-शक्ति’ ही है। यदि यह सारथि 'सचेत' हो गया, तो यह आपकी इन्द्रियों रुपी घोड़ों की लगाम को नियंत्रित कर उनको मनचाही दिशा में, और अनचाहे अनुभवों से अलग दिशा में मोड़ सकता है। 

वास्तव में यह ‘धी-शक्ति’ अपने ‘विवेक’मय रूप में आपके विज्ञानमय कोश में निहित होती है, जो आपके मनोमयी कोश और आनन्दमय कोश के मध्य स्थित है। अर्थात् , आपके मन और आनन्द के बीच में यह धी-शक्ति ही सेतु का कार्य करती है। अतः अपनी चैतन्य-बुद्धि, विवेक और सजगता का प्रयोग करके पूरे ध्यान से आगामी अध्यायों का प्रयोग कर जीवन के हर क्षेत्र में अपने आपको सफल बनायें और अपने जीवन की लगभग हर प्रकार की चुनौति का समाधान करें। 

चलिये मैं ‘धी-शक्ति’ के एक गोपनीय क्रम को आपके लाभ हेतु बताता हूँ। ‘धी-शक्ति’ में प्रथम धी को ही बुद्धि कहते हैं। जब आप बुद्धि को साध लेते हैं, तो आपको द्वितीय धी : शुद्धि प्राप्त होती है जिससे आपके अवचेतन-विचारों और व्यावहारिक-कार्यों में स्वतः ही निर्दोषता और निर्मलता आने लगती है और शुद्धि को साध लेने से तृतीय धी : वृद्धि मिलती है, जिससे आपकी निर्मल मति आपकी जागृत-चेतना के स्तर को उठाना (expansion and rising of consciousness) शुरू कर देती है और आपका दृष्टि-क्षेत्र बढ़ने लगता है और साथ ही साथ आप अपने मस्तिष्क की ऊर्जाओं का अधिक प्रतिशत उपयोग करने लग जाते हैं। जब आप वृद्धि को साध लेते हैं, तो आपको चौथी धी : सिद्धि प्राप्त होती है, जिससे (1) आपकी शक्तियों (आधार स्थिति) , (2) शक्तियों के लक्षित विषयों (मध्य स्थिति) और (3) आपमें निहित शक्ति के स्रोत (आदि, सर्वोच्च स्थिति), इन तीनों का महायोग  हो जाता है और आपको कर्म का कौशल  प्राप्त हो जाता है। ये चारो प्रकार की ‘धी’ का क्रम अपने आपमें Unconscious Incompetence से Unconscious Competence तक की प्रज्ञान-यात्रा को पूर्ण करता है। 



यह श्रृंखला, वर्कशॉप, कोर्स और पुस्तक इसी शक्ति के माध्यम से आपको वह सिद्धि प्राप्त करने में सहायक हो सकती है, जिससे आप अपने जीवन में आकर्षण के नियम, sub-conscious manifestation, creative-visualization और reality-shifting का प्रभावी उपयोग कर सकते हैं। इस प्रकार से यह श्रृंखला आपके जीवन को बदल देने वाली एक दिव्य-उपकरण बन जाती है। साथ ही यहाँ कुछ ऐसे “सरल स्वीकरण-सन्देश” भी बताये गए हैं, जिनको 'अवचेतन-ध्यानावस्था' में जाकर अपने आपको आसानी से दिया जा सकता है और अपने अनुभूत प्रातिभासिक[1] और व्यावहारिक 'सत्य' को निश्चित रूप से बदला जा सकता है। 

यह श्रृंखला आपके व आपके परिवार के लिए खूबसूरत मौका है, जिसके द्वारा आप अपने अवचेतन को नये तरीकों से ट्रेनिंग देकर स्वयं को शांत, स्वस्थ और प्रसन्न रख सकते हैं और जीवन में सफलता व मनचाहे परिणाम भी पा सकते हैं। 

विशेष सलाह

  1. इस श्रृंखला में जीवन की सभी इच्छाओं को पूर्ण कर लेने के प्राचीन-रहस्यों को अत्यंत आसान भाषा में समझाने का प्रयास किया गया है। फिर भी यदि आपको कहीं किसी वाक्य के शब्द या भाषा कठिन लगते हैं तो उस वाक्य को दो बार सुनें या पढ़ें अथवा पूरा अध्याय दो बार सुनें या पढ़ें, और आप पूरी बात को अवश्य ही समझ जायेंगे।
     
  2. ये प्राचीन-रहस्य इस आधुनिक-युग में नए तरीके से प्रस्तुत किये गए हैं। अक्सर ऐसा होता है कि जब भी संसार में कोई नया सूत्र, खोज या आविष्कार आता है, तो आरम्भ में उसको समझना मुश्किल होता है और समझ आ भी जाए तो उसपर यकीन करना भी कठिन लगता है। तदापि यदि उसमें सत्य-तत्व हो, तो वह एक नवीन-विज्ञान के रूप में अपने आपको संसार में स्थापित करता ही है। मुझे विश्वास है कि यह तथास्तु के प्राचीन-नवीन रहस्य अवश्य ही आप सभी की चेतना को एक नई संसाधनयुक्त दशा और आपके अनुभवों को एक नई दिशा प्रदान करेंगे। 

  3. एक बात का अवश्य ध्यान रखें कि अगर आप किसी बीमारी के लिए कोई उपचार या दवाई ले रहे हैं, तो कृपया अपने चिकित्सक की सलाह लिए बिना उन्हें ना छोड़ें। 

  4. यह भी ध्यान रखें कि आगे के अध्यायों में दिए गए अभ्यास कोई कोरी-कल्पना नहीं हैं, वरन आपके अनुभवों को बदलने के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक-सिद्धान्तों का एक साथ समावेश लिए ‘प्रातिभासिक-बीज’ हैं, जो आपके मनचाहे ‘व्यावहारिक-सत्यवृक्ष’ के रूप में बन जाने में सक्षम हैं। 

इस श्रृंखला में दिए गए ‘स्वीकरण सन्देश’ अपने आप में चमत्कारिक परिवर्तन लाने वाले हैं। 

ध्यान दें, कि सभी स्वीकरण संदेशों में तीन महान विधाओं का संयोग है : (1) अथर्वा NLP (Neuro-Linguistic Programming और वैदिक चेतना-विज्ञान का संयोग), (2) बीजमन्त्र-विद्या और (3) कॉस्मिक-ऊर्जा योग पद्धति। ये तीनों विधाएं अपने आप में इन अभ्यासों को सम्पूर्ण बना दे रही हैं। जहाँ एक ओर अथर्वा NLP से वास्तविक मायने में Sub-Conscious Re-Imprinting संभव है, वहीं हर अभ्यास में उस अभ्यास के लक्ष्य के अनुकूल दिव्य-मनःऊर्जा प्रगटाने हेतु बीजमन्त्रों का प्रयोग भी किया गया है, और वहीं तीसरी ओर कुछ विशेष अभ्यासों में कुछ विशेष शारीरिक मुद्राओं और श्वास-प्रक्रियाओं के द्वारा शारीरिक स्तर पर और शरीर में स्थित पञ्चप्राणों को भी आपके प्रयोजन या इच्छा के अनुरूप harmony में रखने हेतु निर्देश दिया गया है। आप जब भी इन संदेशों का प्रयोग करें तो पहले इनको अच्छे से पढ़कर समझ लें, और फिर या तो अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड कर लें, और फिर अभ्यास करें; या अपने किसी साथी से कहें कि वह आपको ये गाइडेड मैडिटेशन के सामान कमांड दे और आप उसका अनुसरण करें। 

सबसे अच्छा तो यह रहेगा कि आप हमारे कार्यालय से संपर्क करके इन सभी संदेशों / अध्यायों की Audio Command Exercises ले लें, जो मेरी ही आवाज़ में रिकॉर्ड की गयी हैं और जिनको मैंने गहन ध्यानावस्था में शक्तिकृत-भाव से बोला है, और इतना ही नहीं, मैंने अपनी आवाज़ के साथ में विशिष्ट फ्रीक्वेंसी से युक्त संगीत भी डाला है और मन्त्रों का ऐसा गुंजरण भी मिक्स किया है जो आपके मन की trance अवस्था जागृत करने के लिए पर्याप्त है और ऐसी trance अवस्था में कोई भी मनोवैज्ञानिक परिवर्तन लाना अत्यन्त आसान होता है। साथ ही आप इस ‘तथास्तु-रहस्य’ की सम्पूर्ण प्रायोगिक-सिद्धि के लिए मेरे 7 दिवसीय टोटल ट्रांसफॉर्मेशन वर्कशॉप में भी भाग ले सकते हैं। 

तो आइये, आगे के अध्यायों में हम जानते हैं कि हम स्वयं को तथास्तु कैसे कहें? 

~ अरुण सिंह क्रान्ति
 



[1] : सत्य तीन प्रकार का होता है : पारमार्थिक सत्य, प्रातिभासिक सत्य, और व्यावहारिक सत्य. इनके बारे में अधिक जानकारी आप मेरी अन्य पुस्तकों से ले सकते हैं.

'फल' , जो 'सफल' कर सकता है


प्रस्तुत है, एक रहस्य-श्रृंखला ... जो एक स्वर्णिम-फल है 18 वर्ष के गहन शोध से खोजे गए कल्पवृक्ष  का। यह फल आपके जीवन को सफल बना सकता है। बहुत ध्यान से समझिएगा इस रहस्य-श्रृंखला को, क्योंकि यह आपकी ज़िन्दगी को पूरी तरह से धनात्मक रूप से बदल देने की शक्ति रखती है। यह श्रृंखला आपको बताएगी कि आपके ‘अवचेतन मन की शक्ति’ और ‘सबकांशस री-इम्प्रिन्टिंग’ के द्वारा आप अपने जीवन में उत्तम स्वास्थ्य, लम्बी आयु, प्रसन्नता, निश्चिंतता, आत्मविश्वास, बेहतर रिश्ते, धन, ऐश्वर्य, सफलता, विजय और सभी प्रकार के भौतिक 'सुख' व आध्यात्मिक 'आनन्द' को कैसे प्राप्त कर सकते हैं? 

इस रहस्य-श्रृंखला में आप जानेंगे : 
  • हमारे जीवन में सही या गलत घटनायें असल में होती कैसे हैं?
  • इन घटनाओं के अनुभव को कैसे नियंत्रित करें?
  • वो कौन सी शक्ति है, जिससे मन को पूरी तरह से जीता जा सकता है?
  • ख़ुशी का सबसे बड़ा रहस्य क्या है और उसको कैसे ‘हमेशा के लिए’ हासिल करें?
  • आप कैसे किसी भी मनोकामना की पूर्ति हेतु स्वयं को ही ‘तथास्तु’ कह सकते हैं?
  • अपने भूतकाल की बुरी यादों से पीछा कैसे छुड़ाएं?
  • भूतकाल के ‘अनुभवों’ को कैसे बदलें?
  • 100% सफलता का गोपनीय रहस्य क्या है?
  • अपने आत्मविश्वास, self-image और मानसिक शक्ति को हमेशा कैसे बनायें रखें?
  • दुनिया के सफलतम लोगों के रहस्य कैसे जानें?
  • मन को चोट लगने से कैसे बचाएं?
  • समृद्धि और धन-प्राप्ति का सबसे बड़ा रहस्य क्या है?
  • अपने जीवन के ख़राब पैटर्न्स को और limiting beliefs को कैसे बदलें?
  • 10 सेकंड में अपनी हीलिंग कैसे करें?
  • अपनी immunity को अपने नियंत्रण में कैसे रखें?
  • हमेशा और हर वातावरण में स्वस्थ कैसे रहे?
  • अपनी हर बुरी आदत, तनाव, क्रोध इत्यादि को हमेशा के लिए दूर कैसे करें?
  • अपने अवचेतन से बात करके अपनी हर बीमारी और हर समस्या को कैसे जड़ से ठीक करें?
  • अपने भाग्य को स्वयं कैसे लिखें?
  • मनचाहा भविष्य कैसे पायें?

और बहुत कुछ...

बस कुछ दिन का इंतज़ार ... 




Thursday 7 May 2020

रहस्य परिचय


दोस्तों, आज अधिकतर लोगों का जीवन अपने भूतकाल की बुरी यादों, संघर्षों से भरे वर्तमान और धुंधले भविष्य के बीच उलझ-सा गया है और आगे नहीं बढ़ पा रहा। जीवन में असफलताएँ, रुकावटें, बाधाएँ, परेशानियाँ, रिश्तों में कड़वाहट, भ्रम, भय, ग्लानि, क्लेश, तनाव, क्रोध, दुःख, रोग और दरिद्रता ने जीवन की गति अवरुद्ध कर दी है।

ऐसे में सुप्रीम लाइफ-गुरु और NLP मास्टरमाइंड अरुण सिंह ‘क्रान्ति’ आपके लिए लेकर आये हैं एक ऐसा रहस्य, जिसके माध्यम से आप अपने अवचेतन-मन की छिपी हुई शक्ति को पूरी तरह जाग्रत कर सकते हैं और जीवन में अपेक्षित गतिशीलता को प्राप्त कर सकते हैं। 
अनुसंधान ने आज यह साबित कर दिया है कि जीवन की 10 में से 9 'समस्याएँ' केवल अवचेतन मन की बुरी अवस्था से उत्पन्न होती हैं और यदि अवचेतन-मन की 'सकारात्मक-सिद्धि' प्राप्त हो जाए, तो जीवन अपने ‘स्वस्थ-स्वभाव’ में आ जाता, और यह स्वस्थ-स्वभाव प्राकृतिक रूप से आनन्दयुक्त ही है।

वह रहस्य प्रस्तुत किया जा रहा है एक पुस्तक और एक वर्कशॉप के माध्यम से, जिसका शीर्षक है : "स्वयं को तथास्तु कैसे कहें?" 

कहते हैं यदि बीज अच्छा हो, और उर्वर भूमि में डाला जाए और उसको सींचाई, खाद, पानी और सेवा अच्छे से मिले, तो फसल सोना उगलती है। यह पुस्तक और यह वर्कशॉप एक सुखद परिणाम है अरुण सिंह 'क्रान्ति' द्वारा 18 वर्षों तक किये गए  शोध का... यह फसल सोना उगल रही है।   

यह पुस्तक आपके जीवन को बदल देने वाली एक दिव्य-उपकरण है। इस अद्भुत पुस्तक में आप कुछ ऐसे अभ्यास करने वाले हैं, और कुछ ऐसे सूत्र जानने वाले हैं, जिनसे जीवन में वह सबकुछ (सकारात्मक रूप से) प्राप्त किया जा सकता है, जो आप (यथार्थ रूप से) अक्सर पाना चाहते हैं। यह पुस्तक पाठकों को समर्पित करते हुए हमें अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

~ COSMiCURE INDIA